Debt to Equity Ratio In Share Market | शेयर बाज़ार में सफलता का मूल मंत्र

नमस्कार दोस्तो, यदि आप शेयर बाज़ार में नियमित रूप से निवेश करते हैं, या शेयर बाज़ार से संबन्धित कुछ विषयो के बारे में जानकारी रखते हैं, तो उनमे से कभी न कभी आपने Debt to Equity Ratio का नाम जरूर सुना होगा, क्योकि कोई भी समझदार निवेशक बिना इस संदर्भ में जाने किसी भी स्टॉक में निवेश नहीं करता हैं।

किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले कोई भी निवेशक DE Ratio जरूर चेक करता हैं, क्योकि यह एक मात्र ऐसा पैमाना हैं, जिससे किसी कंपनी के भविष्य की कल्पना की जाती हैं, कि यह भविष्य में अच्छा परफॉर्मेंस करेगी या नहीं। तो आज के इस लेख में हम Debt to Equity Ratio के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, इसलिए लेख को आखिरी तक पढे, जिससे आप भी किसी स्टॉक का DE Ratio बड़ी आसानी से पता कर सके।

तो आइए जानते हैं Debt to Equity के बारे में –

Debt to Equity Ratio क्या हैं? (DE Ratio Meaning In Hindi)

हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि Debt to Equity Ratio किसी भी कंपनी के वित्तकोष में ऋण और इक्विटि के बीच के संतुलन को दर्शाता हैं। अगर हम सरल शब्दो में आपको बताने की कोशिश करे तो यह कह सकते हैं कि कोई कंपनी अपने व्यवसाय को चलाने के लिए बैंक से या मार्केट से कितना उधार ले रखा हैं, और कंपनी ने अपने स्वयं का कितना निवेश कर रखा हैं। मतलब साफ हैं कि जब कोई निवेशक किसी कंपनी का स्टॉक खरीदने जाता हैं, तो कॉमन सी चीज यह देखता हैं कि वह जो स्टॉक ले रहा हैं, उसमे प्रति स्टॉक कंपनी ने कितने रुपये का कर्ज ले रखा हैं।

नीचे हम आपको Debt to Equity निकालने का एक सरल फॉर्मूला बताने जा रहे हैं-

ऋण इक्विटि अनुपात को निकालने के लिए बहुत ही सरल फॉर्मूला का प्रयोग किया जाता हैं :-

Debt to Equity Ratio (DE Ratio)=Total Debt/Total Equity

  • Total Debt: इसका मतलब यह हैं कि वर्तमान में कंपनी के ऊपर कुल देनदारिया, जैसे बैंक से लिया गया ऋण और बॉन्ड आदि।
  • Total Equity: निवेशको द्वारा किया गया कुल निवेश (स्टॉक वॉल्यूम+डिपॉज़िट+प्रॉफ़िट)

नीचे हम आपको एक छोटा-सा उदाहरण दे कर समझाने का प्रयास करेंगे।

Debt to Equity Ratio (DE Ratio) Example :

यदि किसी कंपनी का कुल ऋण 1,00,000 रुपये हैं और उस कंपनी के पास कुल 2,00,000 स्टॉक्स हैं, तो DE अनुपात निम्नलिखित होगा।

DE Ratio = 1,00,000/2,00,000

=0.5 Debt to Equity होगा।

Debt to Equity (DE) Ratio कितना होना चाहिए?

अगर बात हम Debt to Equity Ratio की करे, तो कोई भी संतोषजनक अनुपात नहीं हैं, जिसको मद्देनजर रखते हुए हम किसी स्टॉक को भविष्य के लिए खरीद सके। ऋण इक्विटि का अनुपात किसी भी कंपनी के विकास के आधार पर अलग-अलग होता हैं। वैसे शेयर बाज़ार के एक्स्पर्ट्स के अनुसार Debt to Equity Ratio को देखे तो 2 से कम का अनुपात किसी कंपनी के लिए बेहतर माना जाता हैं।

अगर किसी कंपनी का यह अनुपात 2-4.5 के बीच में हैं, तो लगभग-लगभग ठीक-ठाक मान लिया जाता हैं, यदि यही अनुपात 5 से अधिक हो जाता हैं, तो चिंता करने योग्य विषय होता, फिर तो बहुत सोच समझ कर निवेश करने की जरूरत होती हैं।

किसी भी कंपनी के debt to Equity Ratio का मूल्यांकन करने के लिए उस कंपनी से ही संबन्धित व्यवसाय करने वाली कंपनी से तुलना करना काफी उपयोगी माना जाता हैं, इससे यह पता चल जाता हैं, कि कंपनी अपने उद्योग के संदर्भ में मार्केट में कैसा प्रदर्शन कर रही हैं।

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Debt to Equity का शेयर बाज़ार में क्या महत्व हैं?

Debt to Equity का महत्व शेयर बाज़ार में वित्तीय विश्लेषण के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता हैं। यह किसी कंपनी के वित्तीय सेहत को जानने के लिए सबसे सटीक पैमाना होता हैं। नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में बताने जा रहे हैं।

1. Assessment of Financial Stability: Debt to Equity इस बात को प्रदर्शित करता हैं, कि कंपनी ने अपने कार्यो और उद्योग को चलाने के लिए मार्केट और बैंक से कितना कर्ज ले रखा हैं, इससे एक निवेशक यह बात को समझ सकता हैं कि कंपनी कितना ऋण के बोझ में हैं।

2. Risk Assessment: अगर किसी कंपनी ने अत्यधिक ऋण मार्केट या बैंक से ले रखा हैं, इसका मतलब यह हैं कि Debt to Equity Ratio बहुत ज्यादा हैं और उस कंपनी में निवेश जोखिम भरा हो सकता हैं।

3. Evaluation of Efficiency: DE Ratio के द्वारा हम किसी कंपनी के ऋण का उपभोग करने की दक्षता का भी मूल्यांकन करते हैं, अगर कोई कंपनी ऋण लिए गए धन का उपयोग किसी ऐसी परियोजना में लगा रही हैं, जिससे भविष्य में अच्छे लाभ होने के संकेत हैं, ऐसे में वह कंपनी अपने ऋण भार को संभालने में सक्षम साबित होगी।

4. Industry Comparison: DE Ratio के माध्यम से हम उस कंपनी के समकक्ष उद्योग कर रही कंपनी से तुलना करके उस कंपनी के भविष्य के बारे में लगभग सटीक अनुमान लगा सकते हैं। इससे निवेशको को भी यह समझने में काफी मदद मिल जाती हैं कि कंपनी अपने प्रतिस्पर्थी के सामने कैसा प्रदर्शन कर रही हैं।

5. Investment Decision: DE Ratio के माध्यम से एक निवेशक यह जान लेता हैं, कि कंपनी निवेश करने के लिहाज से सही हैं या नहीं। कम Debt to Equity Ratio वाली कंपनी को निवेश के हिसाब से काफी अच्छा माना जाता हैं, जबकि ज्यादा Debt to Equity वाली कंपनी को थोड़ा जोखिम भरा माना जाता हैं।

Debt to Equity Ratio कैसे प्रभावित होती हैं?

किसी भी कंपनी का DE Ratio निम्न कारणो से प्रभावित होता हैं।

1. Use Of Loan: यदि कोई भी कंपनी जितना ऋण लेगी उतना ही उस कंपनी का DE Ratio बढ़ेगा, कोई भी कंपनी अपने विकास और भूमि अधिग्रहण के लिए बैंक या मार्केट से लोन लेती हैं।

2. Shareholder Equity: अगर कोई कंपनी अपने शेयरधारको को लाभांश को अपने मुनाफे के द्वारा वितरित करती हैं, तो शेयरधारक इक्विटि कम हो जाएगी, जिससे DE Ratio बढ़ जाएगा।

3. Company Size: अगर बात करे बड़ी कंपनी की तो उनमे छोटी कंपनी की अपेक्षा कम DE Ratio होता हैं। जिससे कंपनी का प्रदर्शन अच्छा हो जाता हैं और निवेशको का रुझान उस कंपनी के प्रति बढ़ जाता हैं।

4. Industry: मार्केट में कुछ उद्योगो में Utilities और Telecom सैक्टर में दूसरे उद्योगो की तुलना में अधिक DE Ratio होता हैं।

5. Economic Condition: जब मार्केट में आर्थिक मंदी आती हैं, तब किसी भी कंपनी का DE Ratio बढ़ सकता हैं, क्योकि वह उस समय राजस्व में गिरावट देखती हैं।

6. Corporate Strategy: अगर कोई कंपनी बहुत तेज़ी के साथ विकास की नीति को अपनाती हैं, तो उस कंपनी को ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती हैं, और DE Ratio भी बढ़ सकता हैं।

7. Interest Rate: अगर आरबीआई बैंक की ब्याज दरो में इजाफा करती हैं, तो कंपनी के लिए ऋण चुकाना बहुत महंगा हो जाएगा और कंपनी का DE Ratio बढ़ जाएगा।

8. Inflation: मार्केट में महंगाई ऋण के वास्तविक मूल्य को काफी कम करती हैं, जिससे DE Ratio काफी कम हो सकता हैं।

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आज के इस शेयर बाज़ार के लिए उपयोगी DE Ratio के बारे में हमारे मार्केट एक्स्पर्ट्स ने आपको विस्तृत जानकारी प्रदान की हैं, हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख काफी पसंद आया होगा, यदि आपके इससे संबन्धित किसी भी प्रकार के सवाल और सुझाव हैं, तो हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। धन्यवाद !

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