Electoral Bond: क्या हैं इलेक्टरोल बॉन्ड और कैसे काम करता हैं?

नमस्कार दोस्तो, जैसा कि सभी को पता हैं चुनावी मौसम आ गया हैं, आने वाले महीनो में चुनाव भी हैं, ऐसे में शायद आपने भी कही न कही Electoral Bond का नाम तो जरूर सुना होगा। हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि Electoral Bond के माध्यम से देश की सभी राजनीतिक पार्टी चुनाव लड़ने के लिए चंदा इकट्ठा करती हैं।

हालांकि राजनीतिक पार्टियो को यह धन विभिन्न स्रोतो से प्राप्त होता हैं, जिनमे कुछ मुख्य स्रोत इस प्रकार हैं, जैसे – व्यक्तिगत दान, कॉर्पोरेट दान और सरकारी फंडिंग।

जैसा कि देश के सभी को लोगो को यह पता हैं कि राजनीतिक पार्टियो में आने वाले दान के विषय में हमेशा से ही अपारदर्शिता रही हैं। इस प्रकार के आने वाले धन का प्रयोग देश के राजनीतिक नेता और पार्टिया अपने निजी स्वार्थ में हमेशा से करती रही हैं। इसी जटिल मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जनवरी 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) योजना की शुरुआत की थी।

इस योजना के माध्यम से किसी भी राजनीतिक दल को दान या चंदा देने के लिए एक वैकल्पिक और अपनी पहचान छिपा कर दान देने का तरीका प्रदान किया गया।

आज के इस लेख में हम आपको इलेक्टोरल बॉन्ड की कार्यप्रणाली और इससे होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे, जिससे आपको इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में ज्यादा से ज्यादा से जानकारी मिल सके।

इलेक्टोरल बॉन्ड क्या हैं ?

यदि सरल शब्दो में समझने की कोशिश करे तो इलेक्टोरल बॉन्ड देश की राजनीतिक पार्टियो को चुनाव लड़ने के लिए फ़ंड जुटाने का एक सुगम तरीका हैं। जोकि देश की किसी भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा से आप बड़ी ही आसानी से खरीद सकते हैं, जोकि एक प्रकार के बेयरर बॉन्ड होते हैं जिसमे धारक का नाम नहीं लिखा होता हैं, यह 1000₹, 10000₹, 100,000₹, 10,00,000₹ और 1 करोड़ तक के मूल्यवर्ग में बैंक में उपलब्ध हैं।

कोई भी भारतीय नागरिक या कोई कॉर्पोरेट कंपनी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में जाकर इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद सकता हैं।

यदि कोई भी इन बॉन्ड को खरीदता हैं, तो वह अपनी स्वेच्छा से भारत की किसी भी राजनीतिक पार्टी को दान कर सकता हैं। जोकि भारतीय निर्वाचन आयोग के साथ पंजीकृत हैं और उसे पिछले चुनाव में कम से कम 1% वोट मिला हो। इस बॉन्ड से राशि प्राप्त करने के लिए एक निर्धारित अवधि के भीतर इस बॉन्ड को जमा करना होता हैं। इसके बाद बैंक इस राशि को पार्टी के खाते में जमा कर देती हैं।

इलेक्टोरल बॉन्ड कैसे काम करता हैं?

नीचे हम आपको विस्तृत निम्न चरणों में बताने जा रहे हैं, कि इलेक्टोरल बॉन्ड कैसे काम करता हैं। आइए जानते हैं –

  • निर्वाचन आयोग के आधार पर भारतीय स्टेट बैंक की कुछ विशिष्ट शाखाओ पर निर्धारित अवधि के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाते हैं।
  • कोई भारतीय नागरिक या कॉर्पोरेट कंपनी अपनी पहचान को गुप्त रखते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद सकता हैं।
  • यदि अपने भी बैंक से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद लिया हैं, तो आप किसी भी राजनीतिक दल को इसे दान कर सकते हैं।
  • आप किसी भी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड देते हैं, तो उस पार्टी को एक निश्चित समय के अंदर बैंक में जमा करना होता हैं।
  • निर्वाचन आयोग के सत्यापन कर लेने के बाद राशि को पार्टी के बैंक में जमा कर दी जाती हैं।

इलेक्टोरल बॉन्ड के फायदे

भारतीय सरकार इस बात की पुष्टि करती हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को लागू करने के बाद चंदा या दान में पारदर्शिता लाने में काफी मदद मिलेगी। इसमे मिलने वाले संभावित लाभ नीचे बताने जा रहे हैं –

  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले का नाम सार्वजनिक नहीं होता हैं, परंतु राजनीतिक पार्टी को यह बताना होता हैं कि उनको कितने इलेक्टोरल बॉन्ड मिले हैं और किसने उन्हे दान दिया हैं, फिर इसके बाद यह सारी जानकारी निर्वाचन आयोग सार्वजनिक कर देता हैं।
  • निर्वाचन आयोग के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड केवल अधिकृत बैंक से ही खरीदे जा सकते हैं, इससे यह उम्मीद की जाती हैं कि इससे चुनाव में काले धन का प्रयोग कम होगा।
  • सरकार की इस पहल के कारण इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदना बहुत ही सरल प्रक्रिया हैं, इससे लोगो को व्यक्तिगत और कंपनिओ को राजनीतिक पार्टी को दान या चंदा करना बहुत आसान हो गया हैं।

इलेक्टोरल बॉन्ड के नुकसान

वैसे बात करे तो सरकार केवल इलेक्टोरल बॉन्ड से होने वाले फायदे के बारे में बार-बार हर जगह बोलती हैं, लेकिन इस योजना की काफी खामिया भी रही हैं। आइए जानते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड से होने वाले नुकसान के बारे में –

  • इलेक्टोरल बॉन्ड में किसी भी व्यक्ति का नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता हैं, और लोगो का यह मानना हैं कि बहुत से लोग या कंपनी अपने निजी स्वार्थ और फायदे के लिए अपने काले धन को राजनीतिक पार्टियो को दान कर देते हैं।
  • इसमे देश-विदेश के बड़े-बड़े उद्योगपति और कंपनी ही बड़े-बड़े मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद पाते हैं, और देश में उन राजनीतिक पार्टियो को धन प्राप्त नहीं होता हैं, जिनका मत प्रतिशत 1% से कम हैं।
  • सबसे बड़ी खामी इस योजना की यह हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड विदेशी कंपनी या विदेशी व्यक्ति को भारतीय राजनीतिक दल को दान या चंदा देने से नहीं रोकता हैं, यह सब करने के लिए वह भारतीय कंपनिओ को ही अपना माध्यम बनाती हैं।

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आज के इस लेख में हमारे मार्केट एक्सपर्ट ने आपको इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की हैं, जिससे आपको इलेक्टोरल बॉन्ड को समझने के लिए काफी मदद मिलेगी, हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख काफी पसंद आया होगा अगर आपको इससे संबन्धित किसी भी प्रकार के सवाल या सुझाव हैं, तो हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। धन्यवाद !

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